पूरा नाम – गोविन्द वल्लभ पन्त
जन्म – 18 सितम्बर 1887, खूंट, अल्मोड़ा, उत्तराखंड, भारत
मृत्यु – 7 मार्च 1961, उत्तराखंड, भारत
राजनैतिक पार्टी – राष्ट्रीय काँग्रेस
पिता का नाम – मनोरथ पन्त
माता का नाम – गोविंदी बाई
दादा जी – बद्री दत्त जोशी
शादी – दो शादियाँ, पहली शादी का एक लड़का, पहली शादी गंगा देवी से हुई
पेशा – वकालत
धर्म – हिन्दू
शिक्षा – बी. ए. और कानून की डिग्री प्राप्त की
वकालत – पहले रानीखेत से फिर काशीपुर से
गोविन्द वल्लभ पन्त का शुरूआती जीवन :
पन्त जी का जन्म अल्मोड़ा जिले के ग्राम खूंट में हुआ था. पन्त जी एक ब्राह्मण परिवार से आते हैं. इनके पिता मनोरथ पन्त और माता गोविंदी बाई की मृत्यु तब हो गई जब पन्त बहुत छोटे थे. पन्त जी लालन-पालन इनके दादा जी बद्री दत्त ने किया था. फिर बाद में पन्त का परिवार अल्मोड़ा छोड़ कर इलाहाबाद (उत्तर प्रदेश) चला गया. इलाहाबाद से ही पन्त जी ने अपनी शुरूआती शिक्षा प्राप्त की. यही से बी. ए. और कानून की शिक्षा ली.
पन्त जी स्कूल में गणित, राजनीति और साहित्य विषयो में काफी तेज छात्र थें. श्री पन्त जी ने 1907 में बी. ए. और 1909 में कानून की शिक्षा और डिग्री हासिल की. 1910 के समय श्री पन्त जी ने अल्मोड़ा आकर वकालत शुरू कर दी. वकालत के लिये पन्त जी ने पहले रानीखेत और फिर काशीपुर क्षेत्र का दौरा किया. कॉलेज में कानून की डिग्री को टॉप अंको में पास करने के लिये श्री पन्त जी को कॉलेज की तरफ से लैम्स्दन अवार्ड दिया गया. कॉलेज के समय पन्त जी काँग्रेस के स्वंय सेवक के रूप में भी कार्य करते रहे. पन्त जी हिंदी साहित्य के प्रति काफी व्यापक थे.
आजादी के समय पन्त जी :
गोविन्द वल्लभ पन्त जी भारत की आजादी में 1922 के समय राष्ट्र पिता महात्मा गाँधी के असहयोग आन्दोलन में उतर आये और गाँधी जी के साथ आन्दोलन किया. जब अंग्रेजो के समय भारत के काकोरी जगह में काकोरी कांड हुआ था, जिसमें कुछ लोगो ने अंग्रेजो का सरकारी खजाना लुट लिया था उस केस की पैरवी पन्त जी ने की और वकील के तौर पर अपना कर्तव्य निभाया था.
सन 1927 के समय भारत के 3 क्रांतिकारीयो को फांसी से बचाने के लिये श्री पन्त ने अपने सहयोगी पंडित मदन मोहन मालवीय के साथ मिलकर अंग्रेजो के उस समय के वायसराय को अपना पत्र लिखकर 3 क्रांतिकारी लोगो को बचाने के लिये अपना पूरा जोर लगाया था, लेकिन महात्मा गाँधी का सहयोग नहीं मिल पाने से उनको सफलता नहीं मिल पाई थीं. पन्त जी कई बार जेल भी जा चुके थे.
पन्त जी को साइमन कमीशन और नमक सत्याग्रह आंदोलनों में सरकार के बहिष्कार के जुर्म में जेल जाना पड़ा था. पन्त जी को 1930 में देहरादून की जेल रखा गया.
उत्तर प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री के रूप में :
गोविन्द वल्लभ पन्त जी 1937 से 1939 तक उत्तर प्रदेश के समय उत्तर प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री बने थें. उसके बाद पन्त जी 1946 से 1947 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के पद पर रहें. जिस समय पन्त उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे, उस समय इस प्रदेश का नाम सयुंक्त प्रान्त हुआ करता था. भारत के सविंधान बनने के बाद इसका नाम उत्तर प्रदेश रखा गया फिर आगे श्री पन्त जी को प्रदेश की कमान दे दी और पन्त 26 जनवरी 1950 से 1954 तक मुख्यमंत्री रहें.
भारत के होम मिनिस्टर के तौर पर :
गोविन्द वल्लभ पन्त उस समय के Home minister सरदार वल्लभ भाई पटेल की अचानक मौत के बाद भारत के गृह मंत्री बनाये गये. गोविन्द वल्लभ पन्त के ने भारत के Home Minister के पद पर अपना कार्यकाल 1955 से 1961 तक पूरा किया.
गोविन्द वल्लभ पन्त के नाम पर देश में संस्थान :
* गोविन्द वल्लभ पन्त कृषि एवं प्रोद्धयोगिकी विश्वविद्यालय पंतनगर, जिला उधम सिंह नगर, उतराखंड, भारत
* गोविन्द वल्लभ पन्त सागर सोनभद्र, उत्तर प्रदेश
* गोविन्द वल्लभ पन्त अभियन्त्रिकी महाविद्यालय, पौड़ी, उत्तराखंड, भारत
गोविन्द वल्लभ पन्त की मृत्यु :
श्री पन्त जी मृत्यु 7 मई 1961 में दिल का दौरा पड़ने से हुई तब श्री पन्त भारत सरकार के होम मिनिस्टर के पद पर थे. उनकी मृत्यु के बाद श्री लाल बहादुर शास्त्री देश के नये होम मिनिस्टर बने.
आइये पन्त जी के कार्यो पर डाले एक नजर :
* पन्त जी सन 1909 में इलाहाबाद हाई कोर्ट में एडवोकेट बने और उन्होंने नैनीताल में वकालत शुरू की.
* पन्त जी ने कुमाऊँ में राष्ट्रीय आन्दोलन को अहिंसा के आधार पर एकीकृत किया. कुमाऊँ में शुरूआती आन्दोलन की शुरूआत में कुली उतार, जंगलात आन्दोलन, स्वदेशी प्रचार और विदेशी कपड़ो की होली व लगान बंदी आदि से हुआ. बाद में कुमाऊँ में असहयोग आन्दोलन की लहर फैल गई.
* पन्त जी का राजनीतिक सिद्दान्त था कि अपने क्षेत्र की राजनीति का कभी अपेक्षा नहीं की जानी चाहिए. 1929 में गाँधी जी कौसानी से रामनगर होते हुए काशीपुर भी गये. काशीपुर में गाँधी नानकचन्द्र के बाग में रुके थें. पन्त जी ने काशीपुर में एक चरखा संघ की आधारशिला रखी थीं.
* पन्त जी 7 सालों तक जेलों में भी रहें.
* श्री पन्त एक आन्दोलनकारी के साथ-साथ एक राजनेता, एक कानून का ज्ञाता और सामजसेवी भी रहें.
आज भले ही पन्त जी हम सब के सामने नहीं है लेकिन उनके द्वारा किये गये कार्यो और देश के लिए उनके बहुमूल्य योगदान के लिए भारत रत्न गोविन्द बल्लभ पन्त को हमेशा याद रखा जाएगा.
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