विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के बारे में (About World Health Orginasation)
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का मुख्य लक्ष्य "सभी के लिए, हर जगह बेहतर स्वास्थ्य" है. WHO की स्थापना 7 अप्रैल 1948 को हुई थी इसका मुख्यालय स्विट्जरलैंड के जिनेवा शहर में है. वर्तमान में इसके 194 सदस्य देश हैं जबकि इसकी स्थापना के समय केवल 61 देशों ने इसके संविधान पर हस्ताक्षर किये थे.
वर्तमान में WHO के सदस्य देशों में 150 ऑफिस हैं और पूरे संगठन में करीब 7 हजार कर्मचारी काम करते हैं. WHO, संयुक्त राष्ट्र संघ का हिस्सा है और इसका मुख्य काम दुनियाभर में स्वास्थ्य समस्याओं पर नजर रखना और उन्हें सुलझाने में मदद करना है.
WHO, वर्ल्ड हेल्थ रिपोर्ट के लिए जिम्मेदार होता है जिसमें पूरी दुनिया से जुड़ी स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का एक सर्वे होता है.WHO मुख्य रूप से इन्फ्लूएंजा और एचआईवी जैसी संक्रामक रोग और कैंसर और हृदय रोग जैसी गैर-संक्रामक बीमारियों, स्वच्छ पानी की समस्या और कुपोषण से लड़ने में विश्व की मदद करता है और उनके ऊपर रिसर्च करता हैं.
वर्तमान में यह संगठन दुनिया भर में कोविड 19 महामारी से लड़ने के लिए दिन रात मेहनत कर रहा है लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने इसके ऊपर पक्षपात करने के आरोप लगाते हुए इसको दी जाने वाली फंडिंग पर रोक लगा दी है. अब सवाल यह उठता है कि आखिर WHO को फंडिंग कहाँ से मिलती है और कितनी फंडिंग मिलती है?
आइये इस लेख में यही जानते हैं.
अमेरिका ने फंडिंग क्यों रोकी?(Why USA stopped Funding of WHO)
वर्तमान में विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुखिया टैड्रोस ऐडरेनॉम ग़ैबरेयेसस है जो कि इस पद पर पहुँचने वाले पहले अफ़्रीकी हैं. ऐसा कहा जाता है कि उनको यह पद चीन की वजह से ही मिला है. डब्ल्यूएचओ के मौजूदा डायरेक्टर जनरल ट्रेड्रॉस एडोनम ने अपना पांच वर्षीय कार्यकाल 1 जुलाई 2017 को शुरू किया था.
इससे पहले के घटनाक्रम में टैड्रोस ने 28 जनवरी को चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मिलने के बाद कोरोना बीमारी से लड़ने के लिए उनके प्रयासों की सराहना की थी जिसकी अमेरिका सहित विश्व के कई लोगों ने आलोचना की थी.
अमेरिकी राष्ट्रपति ने यह आरोप लगाया है कि यदि WHO ने चीन पर कोरोना से सम्बंधित जानकारी पूरे विश्व के साथ साझा करने के लिए दबाव बनाया होता तो अमेरिका में 20 हजार लोगों की जान नहीं जाती और विश्व में कोरोना वायरस इतना अधिक नहीं फैलता.
ट्रम्प ने कहा कि जब WHO अपने उद्येश्यों में सफल नहीं है और इसकी कार्यप्रणाली से अमेरिका को कोई फायदा नहीं है तो फिर इसको हर साल 400 से 500 मिलियन डॉलर की आर्थिक मदद क्यों दी जाये?
विश्व स्वास्थ्य संगठन को कौन देश कितना रुपया देता है? (Who gives funding to World Health Organisation-WHO)
विश्व स्वास्थ्य संगठन को दो तरह से फंड मिलते हैं.
1. असेस्ड कंट्रीब्यूशन
2. वॉलेंटरी कंट्रीब्यूशन
असेस्ड कंट्रीब्यूशन क्या होता है? (What is assessed contribution to WHO)
यह फंड WHO के सदस्य देश देते हैं. कौन सा सदस्य देश कितना फंड देगा, ये पहले से तय होता है और देश की अर्थव्यवस्था और जनसंख्या पर निर्भर करता है. अर्थात ज्यादा बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देश से ज्यादा फण्ड लिया जाता है.
असेस्ड कंट्रीब्यूशन को विश्व स्वास्थ्य संगठन की 'कोर' फंडिंग मानी जाती है. इस फंड का इस्तेमाल संगठन अपने रोजमर्रा के ख़र्चे और ज़रूरी प्रोग्राम चलाने के लिए करता है.
इस मद में सबसे ज्यादा फंडिंग अमेरिका करता है जो कि वर्ष 2018-19 में 400 मिलियन डॉलर था और यह WHO के कुल बजट का 15% था. इसके बाद तीसरा सबसे बड़ा योगदान यूनाइटेड किंगडम का था. इसमें 2018-19 में चीन का योगदान 86 मिलियन डॉलर था.
साल 2010 से 2017 के बीच अमेरिका ने WHO को इसी मद में 107 मिलियन डॉलर से 114 मिलियन डॉलर के बीच मदद की थी.
वॉलेंटरी कंट्रीब्यूशन क्या होता है?(What is Voluntary Contribution)
यह फण्ड सदस्य देशों, बड़ी संस्थाएं और कम्पनियाँ और लोग देते हैं. जो सदस्य अपने पहले से तय असेस्ड कंट्रीब्यूशन के बाद दान करना चाहते हैं वे इस मद में अपनी इच्छा से दान कर सकते हैं.
इस वॉलेंटरी कंट्रीब्यूशन का इस्तेमाल संगठन उन्हीं कुछ एक विशेष कामों के लिए करती है, जिसके लिए वो फंड बता कर दिए जाते हैं.
साल 2016-17 के आँकड़ों की बात करें तो WHO के पास 80% फंड वॉलेंटरी कंट्रीब्यूशन से आया था. महज़ 18% ही असेस्ड कंट्रीब्यूशन के ज़रिए मिला था और बाक़ी दो फ़ीसदी अन्य सोर्स से मिले थे जिसमें सह प्रायोजकों और अन्य (फाउंडेशन, एजेंसियां, व्यक्ति और संगठन आदि) शामिल हैं.
वित्त वर्ष 2018-19 में वॉलेंटरी कंट्रीब्यूशन में सबसे अधिक योगदान बिल गेट्स औए मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन ने दिया था जो कि कुल फण्ड का 45% था इसके बाद जर्मनी ने 12%, यूनाइटेड किंगडम ने 7% और जापान और रिपब्लिक ऑफ़ कोरिया ने 6%-6% का योगदान दिया था.
अमरीका ने वर्ष 2017 में 401 मिलियन डॉलर का फंड डब्लूएचओ को वॉलेंटरी कंट्रीब्यूशन के तहत दिया था. जो कि 2017 में डब्लूएचओ को मिलने वाले कुल वॉलेंटरी कंट्रीब्यूशन का 17 फ़ीसदी हिस्सा था.
WHO का वित्त वर्ष 2018-19 के लिए बजट (WHO Budget for 2018-19)
इस वित्त वर्ष के लिए WHO का कुल बजट 4422 मिलियन अमेरिकी डॉलर था जबकि 4417 मिलियन डॉलर का फण्ड उपलब्ध था जिसमें से 2292 मिलियन डॉलर खर्च हो चुका है.
वित्त वर्ष 2018 के लिए कुल 2744 मिलियन अमेरिकी डॉलर, कार्यक्रम बजट राजस्व दर्ज किया गया था जिसमें सदस्य देशों का असेस्ड कंट्रीब्यूशन 501 मिलियन अमरीकी डालर शामिल है, जबकि वॉलेंटरी कंट्रीब्यूशन US$ 2243 मिलियन का था. ध्यान रहे कि भारत का योगदान इतना कम है कि उसका स्थान शीर्ष 20 देशों में शामिल नहीं है. शीर्ष 20 योगदानकर्ता, जिनका कुल राजस्व में 79% योगदान है, वे हैं;
WHO ने कोरोनोवायरस महामारी से लड़ने में मदद के लिए मार्च में 675 मिलियन डॉलर के लिए अपील शुरू की और इसके बाद भी कम से कम 1 बिलियन डॉलर की अपील फिर से करने की चर्चा हो रही है.
ऊपर दिए गए डेटा से स्पष्ट है कि WHO की कुल फंडिंग में अमेरिका का योगदान बहुत ही महत्वपूर्ण हैं. यदि अमेरिका WHO को फण्ड नहीं देता है तो कोरोना की लड़ाई में थोड़ी दिक्कतें आ सकती हैं हालाँकि चीन ने कहा है कि वो अपना हिस्सा बढ़ाएगा और बिल गेट्स ने भी अपनी फंडिंग जारी रखने की बात कही है.
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